Considerations To Know About राजनीति विज्ञान

जैनुल-अखबार की रचना अबु सईद ने की थी, इससे महमूद गजनी के जीवन पर प्रकाश पड़ता है। मिनहाज-उस-सिराज जुजानी रचित तबकात-ए-नासिरी से दिल्ली सल्तनत का कालक्रमिक एवं क्रमबद्ध विवरण प्रस्तुत होता है। इस तरह का विवरण प्रस्तुत करने वाला यह पहला ग्रंथ है। 

अलाउद्दीन खिलजी के सैन्य अभियानों का वर्णन।

इतिहासकार एक वैज्ञानिक की तरह उपलब्ध ऐतिहासिक सामग्री का अध्ययन एवं समीक्षा कर अतीत का वास्तविक चित्र प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के लिए शुद्ध ऐतिहासिक सामग्री अन्य देशों की तुलना में बहुत कम उपलब्ध है। भारत में यूनान के हेरोडोटस या रोम के लिवी जैसे इतिहास-लेखक नहीं हुए, इसलिए पाश्चात्य मनीषियों ने यह प्रवाद फैलाया कि भारतवर्ष में वहाँ के जन-जीवन की झाँकी प्रस्तुत करनेवाले इतिहास का पूर्णतया अभाव है क्योंकि प्राचीन भारतीयों की इतिहास की संकल्पना ठीक नहीं थी।

यहां पर कहीं सारी चीजें मिली थी: घरेलू सामान

आरण्यक : अरण्यों (जंगलों) में निवास करनेवाले संन्यासियों के मार्गदर्शन के लिए लिखे गये आरयण्कों में दार्शनिक एवं रहस्यात्मक विषयों यथा- आत्मा, मृत्यु, जीवन आदि का वर्णन है। अथर्ववेद को छोड़कर अन्य तीनों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद और समावेद) के आरण्यक हैं। आरण्यकों में ऐतरेय आरण्यक, शांखयन आरण्यक, बृहदारण्यक, मैत्रायणी उपनिषद् आरण्यक तथा तवलकार आरण्यक (जैमिनीयोपनिषद् ब्राह्मण) प्रमुख हैं। ऐतरेय तथा शांखयन ऋग्वेद से, बृहदारण्यक शुक्ल यजुर्वेद से, मैत्रायणी उपनिषद् आरण्यक कृष्ण यजुर्वेद से तथा तवलकार आरण्यक सामवेद से संबद्ध हैं। तैत्तिरीय आरण्यक में कुरु, पंचाल, काशी, विदेह आदि महाजनपदों का उल्लेख मिलता है।

बोकड कापण्याची प्रथा सुद्धा त्यावेळी होती. त्यामुळे डोंगराच्या एकाबाजूला बोकड कापले जात होते.

क्या आप जानते हैं भारतीय इतिहास की इन महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में?

सिंधु घाटी सभ्यता में चौड़ी सड़कें और सुविकसित निकास प्रणाली भी स्थित थे।

प्रारंभिक मध्यकालीन भारत के प्रमुख राजवंश इस प्रकार हैं-

सुबुक्तगीन एवं महमूद गजनी के संबंध में उत्बी रचित किताब-उल-यामिनी से जानकारी मिलती है।

आंध्र प्रदेशमधील राजमुंदरीमध्ये पुष्करम उत्सवादरम्यान गोदावरी नदीवर हजारो लोक पोहोचले होते.

लहानपणापासून सोबत असलेल्या जोडप्याने आयुष्य एकत्रच संपवण्याचा निर्णय का घेतला?

होयसल राजवंश – होयसल प्राचीन दक्षिण भारत का एक राजवंश था। इसने दसवीं से चौदहवीं शताब्दी तक राज किया। होयसल शासक पश्चिमी घाट के पर्वतीय क्षेत्र वाशिन्दे थे पर उस समय आस पास चल रहे आंतरिक संघर्ष का फायदा उठाकर उन्होने वर्तमान कर्नाटक के लगभग सम्पूर्ण भाग तथा तमिलनाडु के कावेरी नदी की उपजाऊ घाटी वाले हिस्से पर अपना अधिकार जमा लिया। इन्होंने ३१७ लोकप्रसाशन वर्ष राज किया। इनकी राजधानी पहले बेलूर थी पर बाद में स्थानांतरित होकर हालेबिदु हो गई।

Enter for contemporary updates from top world-wide universities +ninety one Enter to receive a connect with back again from our gurus proceed   

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *